जीवन के सार कबीर के दोहे

जीवन के सार कबीर के दोहे

मांगन मरण समान है ,मत कोई माँगों भीख ।
मांगन से मरना भला , यह सतगुरु की सीख।।

हीरा तहाँ न खोलिए , जहाँ कुंजड  हाट।
बाँधों अपनी पोटरी, लागहु अपनी बाट।

तनपवित्र सेवा किये, धन पवित्र दिये दान ।
मन पवित्र हरि भजन से , इस विधि हो कल्याण।

तीर्थ गये से एक फल , संत मिलें फल चार ।
सत्य गुरु मिलें अनेक फल , कहे कबीर बिचार। 

कबिरा नन्हें हो रहो जैसी नन्ही दूब।
सभी घास जल जायेंगे , दूब ख़ूब की ख़ूब ।

लीक पुरानी ना तज़े , कायर कुटिल कपूत 
लीक पुरानी ना रहे , शायर सिंह सपूत।

खुल खेलो संसार में बाँधी न सक्के कोय।
जाक़ों राखें साइयाँ मारि न सक्के कोय।

संकलित  

सृजन( जनता का मंच जनता के लिए) 

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