नील गगन में बहने दो

आज केंद्रीय विद्यालय में परीक्षा परिणाम वितरित किए गए हैं। इसी संदर्भ में आए विचार आपके समक्ष प्रस्तुत है-

आज मैं चश्मा बुन रहा हूं
पास फेल के चक्कर से
कोई कितना दूर जा सकता है
यह देखने वाली आंखें गढ़ रहा हूं
पर यह क्या ….
सभी उसी चक्कर में फंसे हैं ,
जिसकी धड़कन रुकी पड़ी है
उसे कोई नहीं समझे हैं
आपका बेटा कितने अंक लाया?
आपकी बेटी कितने अंक लायी?
यह पूछ-पूछ सब रूठे और ऐंठे हैं।
काश, उससे भी पूछ लो
जिसका परिणाम आया है।
उसने क्या सोचा है, उसने क्या समझा है
आपकी इच्छाओं से उसने अपना दम घोटा है
उन बच्चों की मासूमियत को देखो
उनके दिलों की उड़ान को समझो
इन अंकों के आंकड़ों से
उनकी भावनाओं को न कुचलो
बच्चों को उल्लासित रहने दो
नील गगन में स्वच्छंद बहने दो
संस्कारों की नींव न डिगने दो
संस्कार गढ़ने वाली नज़रे ढूंढ रहा हूँ
अच्छे कर्मों की कोशिश कर रहा हूँ

(स्वरचित)
सुरेश कुमार पाटीदार
27.03.2018
अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र।