स्वरचित दोहा
काल मकर संक्रांति का, गुड़ तिल की है थाल ।
मुँह मीठा कर जाइए , नहीं चूकिए लाल। ।
काल मकर संक्रांति का, गुड़ तिल की है थाल ।
मुँह मीठा कर जाइए , नहीं चूकिए लाल। ।
अमर शहीदों को प्रणाम जिसने सींचा इस माटी को चलो उन्हें प्रणाम करें आज़ादी के अवसर पर…