बाल महाभारत के
प्रश्न उत्तर
पाठ-25 राजदूत
संजय से पाठ-40 श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर
पाठ-25 राजदूत संजय
प्र.1पांचाल नरेश के पुरोहित ने धृतराष्ट्र को क्या
संदेश सुनाया ?
उ. पुरोहित ने कहा कि युधिष्ठिर युद्ध से
घृणा करते हैं। वे लड़ना नहीं चाहते हैं। इसलिए न्याय तथा पहले के समझौते के
अनुसार यह उचित होगा कि आप उनका हिस्सा देने की कृपा करें।
प्र.2 संजय ने
युधिष्ठिर को अपनी ओर से क्या कहा ?
उ.-संजय ने कहा कि युधिष्ठिर, धृतराष्ट्र के पुत्र न तो अपने पिता की बात
पर ध्यान देते हैं, न भीष्म की ही
कुछ सुनते हैं। आप सदा से ही न्याय पर स्थिर हैं। आप युद्ध की चाह न करें।
प्र.3 युधिष्ठिर ने
धृतराष्ट्र के लिए संजय को क्या संदेश दिया ?
उ.-युधिष्ठिर ने संजय से कहा कि महाराज
धृतराष्ट्र को मेरी तरफ से प्रार्थना पूर्वक संदेश सुनाना कि कम से कम हमें पाँच
गाँव ही दे दें। हम पाँचों भाई इसी से संतोष कर लेंगे और संधि करने को तैयार होंगे।
प्र.4 धृतराष्ट्र के
समझाने पर दुर्योधन ने चिढ़कर क्या कहा ?
उ.-दुर्योधन ने चिढ़कर कहा कि मैं तो सुई
की नोंक के बराबर भूमि भी पांडवों को देना नहीं चाहता हूँ। अब फैसला युद्ध भूमि
में ही होगा।पाठ-26 शांतिदूत
श्रीकृष्ण
प्र.1 श्री कृष्ण
शांतिदूत बनकर कहाँ गये थे ?
उ.- श्री कृष्ण शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर
गये थे।
प्र.2 श्री कृष्ण ने
धृतराष्ट्र की सभा में क्या कहा ?
उ.- श्री कृष्ण ने कहा कि राजन् ! पांडव
शांतिप्रिय है, परंतु साथ ही यह भी समझ लीजिए कि वे युद्ध
के लिए भी तैयार हैं। पांडव आपको पिता स्वरूप मानते हैं। ऐसा उपाय करें , जिससे आप
भाग्यशाली बनें।
प्र.3 कुंती ने कर्ण से
क्या कहा ?
उ.- कुंती ने कर्ण से कहा कि तुम सूत पुत्र
नहीं हो । राधा और अधिरथ तुम्हारे माता-पिता नहीं हैं। तुम्हारा जन्म राजकुमारी
पृथा की कोख से हुआ है। अतः तुम अपने भाई पांडवों की सहायता करो।
प्र.4 कर्ण ने कुंती को
क्या आश्वासन दिया ?
उ.- कर्ण ने कुंती से कहा कि मैं अर्जुन को
छोड़कर किसी के प्राण नहीं लूँगा। या तो अर्जुन इस युद्ध में काम आएगा या मैं।
दोनों मैं से एक को तो मरना ही पड़ेगा।
पाठ-27 पांडवों और
कौरवों के सेनापति
प्र.1 पांडव सेना के
सात नायक कौन थे ? उनमें से सेनापति कौन बना ?
उ.- पांडवों की विशाल सेना को सात हिस्सों
में बाँट दिया गया। द्रुपद, विराट, धृष्टद्युम्न ,शिखंडी, सात्यकि, चेकितान, भीमसेन ये सात
महारथी सात दलों के नायक बने। इनमें से धृष्टद्युम्न को सेनापति बनाया गया।
प्र.2 महाभारत युद्ध
में कौन दो राजा युद्ध से विरत रहे ?
उ.- बलराम जी और भोजकट के राजा रुक्मी
दोनों
ही महाभारत युद्ध में तटस्थ रहे।
प्र.3 भीष्म के सेनापति
बनने पर कर्ण ने क्या निर्णय लिया ?
उ.- कर्ण ने निर्णय लिया कि भीष्म के मारे
जाने के बाद ही वह युद्धभूमि में प्रवेश करेगा और केवल अर्जुन को ही मारेगा।
प्र.4 युद्ध के लिए
अनुमति माँगने गए युधिष्ठिर से भीष्म ने क्या कहा ?
उ.- भीष्म ने युधिष्ठिर से कहा कि बेटा
मुझे तुमसे यही आशा थी। मैं स्वतंत्र नहीं हूँ, विवश होकर मुझे
तुम्हारे विपक्ष में रहना पड़ रहा है। फिर भी मेरी यही कामना है कि रण में विजय
तुम्हारी हो।
पाठ-28 पहला ,दूसरा और तीसरा दिन
प्र.1 कौरव सेना और
पांडव सेना के अग्रभाग में कौन रहता था ?
उ.- कौरव सेना के अग्रभाग
में दुःशासन और पांडव सेना के अग्रभाग में भीमसेन रहते थे ।
प्र.2 पहले दिन के
युद्ध का परिणाम क्या हुआ ?
उ.- पहले दिन के युद्ध में भीष्म ने पांडव
सेना को भयभीत कर दिया ।
प्र.3 दूसरे दिन के
युद्ध का परिणाम क्या हुआ ?
उ.- दूसरे दिन के युद्ध में कौरव सेना के
मन पर भय का आतंक छा गया ।
प्र.4 दूसरे दिन के
युद्ध की व्यूह रचना किसने की ?
उ.- दूसरे दिन के युद्ध की व्यूह रचना
धृष्टद्यम्न ने की।
प्र.5 तीसरे दिन के
युद्ध की क्या स्थिति रही ?
उ.- तीसरे दिन के युद्ध में पहले भीष्म ने
पांडव सेना के पाँव उखाड़ दिए बाद में अर्जुन ने भयंकर युद्ध करके कौरवों को
परास्त कर दिया।पाठ-29 चौथा, पाँचवाँ और छठा दिन
प्र.1 चौथे दिन के
युद्ध में धृतराष्ट्र के कितने पुत्र मारे गए ?
उ.- चौथे दिन के युद्ध में धृतराष्ट्र के
आठ पुत्र मारे गए।
प्र.2 घटोत्कच कौन था ?
उ.- घटोत्कच भीम का पुत्र था ।
प्र.3 पाँचवें दिन के
युद्ध में सबसे अधिक पराक्रम किसने दिखाया ?
उ.- पाँचवें दिन के युद्ध में सबसे अधिक
पराक्रम अर्जुन ने दिखाया।
प्र.4 छठे दिन की कोई
उल्लेखनीय घटना बताइए ?
उ.- छठे दिन के अंत में दुर्योधन बुरी तरह
से घायल हो गया और बेहोश होकर रथ से गिर पड़ा। तब कृपाचार्य ने बड़ी चतुराई से
दुर्योधन की जान बचाई।
पाठ-30 सातवाँ,आठवाँ और नवाँ दिन
प्र.1 सातवें दिन के
युद्ध की क्या विशेषता रही ?
उ.- सातवें दिन का युद्ध अनेक मोर्चो पर
लड़ा गया। द्रोणाचार्य से विराटराज पराजित हुए और उनका तीसरा पुत्र कुमार शंख मारा
गया ।प्र.2 आठवें दिन के
युद्ध में धृतराष्ट्र के कितने पुत्र मारे गए ?
उ.- आठवें दिन के युद्ध में धृतराष्ट्र के
आठ पुत्र मारे गए। ।
प्र.3 आठवें दिन के युद्ध में
पांडव पक्ष से कौन मारा गया ?
उ.- आठवें दिन के युद्ध में पांडव पक्ष से
नागकन्या से उत्पन्न अर्जुन का पुत्र इरावान मारा गया।
प्र.4 नौवें दिन किनके
मध्य घोर संग्राम हुआ ?
उ.- नौवें दिन अभिमन्यु और अलंबुष के मध्य
घोर संग्राम हुआ।
प्र.5 नौवें दिन
पांडवों की सेना की सबसे अधिक दुर्गत किसने की ?
उ.- नौवें दिन पांडवों की सेना की सबसे
अधिक दुर्गत भीष्म ने की।
पाठ-31 भीष्म
शर-शय्या पर
प्र.1 भीष्म किस दिन के
युद्ध में शर-शय्या पर पहुँचे ?
उ.- भीष्म दसवें दिन के युद्ध में शर-शय्या
पर पहुँचे ।
प्र.2 भीष्म ने अर्जुन
से क्या कहा ?
उ.- भीष्म ने अर्जुन से कहा कि मेरे सिर के
नीचे कोई सहारा नहीं है, कोई सहारा लगा दो
और दूसरा, मेरा सारा शरीर जल रहा है एवं प्यास लग रही
है। थोड़ा पानी तो पिलाओ।
प्र.3 शर-शय्या पर पड़े
भीष्म ने कर्ण से क्या कहा ?
उ.- भीष्म ने कर्ण से कहा कि तुम राधा के
पुत्र नहीं कुंती के पुत्र हो। तुम पांडवों में ज्येष्ठ हो इसलिए तुम्हें पांडवों
से मित्रता कर लेना चाहिए।प्र.4 ग्यारहवें दिन के
युद्ध में कौरवों के सेनापति कौन थे ?
उ.- ग्यारहवें दिन के युद्ध में कौरवों के
सेनापति द्रोणाचार्य थे।
प्र.5 दुर्योधन ने
द्रोणाचार्य से क्या अनुरोध किया ?
उ.- दुर्योधन ने द्रोणाचार्य से युधिष्ठिर
को जीवित पकड़ने का अनुरोध किया।
पाठ-32
बारहवाँ दिन
प्र.1 बारहवें दिन के
युद्ध की उल्लेखनीय घटनाएँ क्या रही ?
उ.- 1 द्रोणाचार्य
युधिष्ठिर को पकड़ने में असफल रहे।2 भगदत्त अर्जुन के
द्वारा मारे गए।3 शकुनि के दो भाई
अचक और वृषक भी अर्जुन के द्वारा मारे गए।।
प्र.2 कौरवों ने अर्जुन को युद्ध
क्षेत्र से दूर ले जाने का निर्णय क्यों किया ?
उ.- क्योंकि युधिष्ठिर को बंदी बनाया जा
सके।
पाठ-33
अभिमन्यु
प्र.1 अभिमन्यु किस दिन
मारा गया ?
उ.- अभिमन्यु तेरहवें दिन मारा गया ।
प्र.2 चक्रव्यूह किसने
तोड़ा ?
उ.- चक्रव्यूह अभिमन्यु ने तोड़ा ।
प्र.3 पांडवों को
चक्रव्यूह में प्रवेश करने से किसने रोका ?
उ.- पांडवों को चक्रव्यूह में प्रवेश करने
से जयद्रथ ने रोका।
प्र.4 युधिष्ठिर ने
अभिमन्यु से क्या कहा ?
उ.-युधिष्ठिर ने अभिमन्यु से कहा कि बेटा
द्रोण के रचे चक्रव्यूह को तोड़ना हमारे किसी वीर से संभव नहीं है। तुम अकेले ही
इसे तोड़ सकते हो।
प्र.5 अभिमन्यु की
मृत्यु के बाद अर्जुन ने क्या प्रतिज्ञा की ?
उ.-अर्जुन ने प्रतिज्ञा की कि ’’ जिसके कारण मेरे
पुत्र की मृत्यु हुई है, उस जयद्रथ का मैं
कल सूर्यास्त होने से पहले वध करके रहूँगा।’’
पाठ-34
युधिष्ठिर की चिंता और कामना
प्र.1 युधिष्ठिर ने सात्यकि की
रक्षा के लिए क्या निर्देश दिए ?
उ.- युधिष्ठिर ने अपने आसपास के वीरों को
कहा कि हमें सात्यकि की रक्षा के लिए चलना चाहिए।
प्र.2 भीम ने
धृष्टद्युम्न से क्या कहा ?
उ.- भीम ने धृष्टद्युम्न से कहा कि आचार्य
द्रोण के प्रण से युधिष्ठिर को बचाने का दायित्व तुम्हारा है।
प्र.3 कर्ण ने भीम को
क्यों नहीं मारा ?
उ.- कर्ण ने माता कुंती के समक्ष प्रतिज्ञा
की थी कि केवल अर्जुन को छोड़कर वह अन्य कुंती पुत्रों को मारने की चेष्टा नहीं
करेगा।प्र.4 जयद्रथ कौन से
दिन मारा गया ?
उ.- जयद्रथ चैदहवें दिन मारा गया।
प्र.5 युधिष्ठिर की
चिंता का क्या कारण था ?
उ.- अर्जुन की सुरक्षा ही युधिष्ठिर की
चिंता का कारण था।
प्र.6 युधिष्ठिर क्या
कामना की ?
उ.- युधिष्ठिर कामना की हो सकता है जयद्रथ
के वध के बाद दुर्योधन संधि कर लें। युधिष्ठिर मन ही मन शांति की कामना कर रहे थे।पाठ-35
भूरिश्रवा , जयद्रथ और
द्रोणाचार्य मारे गए
प्र.1 भूरिश्रवा की भूजा किसने
काटी ?
उ.- भूरिश्रवा की भूजा अर्जुन ने काटी ।
प्र.2 जयद्रथ को मारने
के लिए श्रीकृष्ण ने अर्जुन को क्या कहकर सचेत किया ?
उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि जयद्रथ
सूर्य को देखकर सोच रहा है कि सूर्य डूब गया लेकिन अभी तो सूर्य डूबा नहीं है , अपनी प्रतिज्ञा
पूरी करने का तुम्हारे लिए यही अवसर है।
प्र.3 द्रोणाचार्य को
मारने के लिए पांडवों ने क्या योजना बनाई ?
उ.- भीम ने अश्वत्थामा नाम के हाथी को मार
दिया । और द्रोणाचार्य को खबर दी कि मैं ने अश्वत्थामा को मार दिया। यह सुनकर
आचार्य ने सच्चाई जानने के लिए युधिष्ठिर से पूछा तो उन्हाेने भी कहा कि
अश्वत्थामा
मारा गया, मनुष्य नहीं
हाथी। कथन के अंतिम शब्द पांडवों के शोर में आचार्य सुन न सकें । उन्होंने हथियार
त्याग दिए । भूमि पर ध्यान मग्न बैठे आचार्य का सिर धृष्टद्युम्न ने काट दिया।
पाठ-36 कर्ण और दुर्योधन
भी मारे गए
प्र.1 कर्ण के
सर्पमखास्त्र से अर्जुन के प्राण की रक्षा कैसे हुई ?
उ.- श्री कृष्ण ने रथ को पाँव के अँगूठे
से नीचे दबा दिया । जिससे रथ पाँच अँगुल ज़मीन में धँस गया , इस प्रकार अर्जुन
के प्राण बचे।प्र.2 अर्जुन से धर्म
की बात कहने वाले कर्ण को श्रीकृष्ण ने क्या कहा ?
उ.- श्रीकृष्ण ने कहा कि द्रौपदी को सभा
में घसीटकर लाते समय और अभिमन्यु को मारते समय तुम्हें धर्म की याद नहीं आई ।
प्र.3 दुर्योधन ने
युधिष्ठिर से क्या कहा ?
उ.-दुर्योधन ने कहा कि मेरा युद्ध से जी हट
गया है, मेरे साथी मारे जा चुके हैं। राज्य सुख का
मुझे लोभ नहीं रहा । यह सारा राज्य अब तुम्हारा ही है।
पाठ-37 अश्वत्थामा
प्र.1 अश्वत्थामा ने
पांडवों को कैसे मारा ?
उ.- अश्वत्थामा ने रात के समय सोते हुए
पांडवों को छल से मारा ।
प्र.2 पांडवों के विनाश
की प्रतिज्ञा किसने की ?
उ.- पांडवों के विनाश की प्रतिज्ञा
अश्वत्थामा ने की ।
प्र.3 पांडवों ने
अश्वत्थामा को कहाँ पकड़ा ?
उ.- पांडवों ने अश्वत्थामा को गंगा नदी के
तट पर पकड़ा।
पाठ-38 युधिष्ठिर की वेदना
प्र.1 धृतराष्ट्र के
क्रोध से भीम की रक्षा कैसे हुई ?
उ.- धृतराष्ट्र ने जैसे ही भीम को गले
लगाने कि इच्छा प्रकट की श्रीकृष्ण ने भीम के स्थान पर लौहे की प्रतिमा दे दी ।
क्रोधित राजा ने जैसे ही प्रतिमा को भीम समझकर जोर से अपनी भुजाओं में दबाया वैसे
ही वह चूर-चूर हो गई। इस प्रकार श्रीकृष्ण की चतुराई से भीम की रक्षा हुई ।प्र.2 शोकमग्न
युधिष्ठिर ने क्या निर्णय लिया था ?
उ.- शोकमग्न युधिष्ठिर ने वन जाने का
निर्णय लिया था।
पाठ-39 पांडवों का धृतराष्ट्र के प्रति व्यवहार
प्र.1 धृतराष्ट्र ने युधिष्ठिर से
क्या अनुमति माँगी ?
उ.- धृतराष्ट्र ने युधिष्ठिर से वल्कल धारण
कर वन जाने की अनुमति माँगी ।
प्र.2 वनगमन के समय
धृतराष्ट्र के साथ कौन-कौन थे ?
उ.- वनगमन के समय धृतराष्ट्र के साथ
गांधारी, कुंती व संजय थे ।
प्र.3 धृतराष्ट्र के
प्रति भीम का व्यवहार कैसा था ?
उ.-धृतराष्ट्र के प्रति भीम का व्यवहार
अच्छा नहीं था।
पाठ-40
श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर
प्र.1 महाभारत युद्ध के
बाद श्रीकृष्ण ने कितने वर्ष तक और कहाँ राज्य किया?
उ.- महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने 36 वर्ष तक द्वारका
में राज्य किया ।
प्र.2 बलराम की मृत्यु
कैसे हुई ?
उ.- वंश नाश देखकर बलराम को असीम शोक हुआ
और उन्होंने समाधि में बैठकर शरीर त्याग दिया।
प्र.3 कृष्ण की मृत्यु
कैसे हुई ?
उ.- वंश के विनाश के विषय में विचारते हुए
श्रीकृष्ण एक वृक्ष के नीचे ज़मीन पर लेट गए। किसी शिकारी ने लेटे हुए श्रीकृष्ण
को मृग समझकर तीर चला दिया । तीर तलवे को छेदता हुआ शरीर में धँस गया और श्रीकृष्ण
के प्राण ले लिए।
प्र.4 श्रीकृष्ण के
देहावसान के बाद पांडवों ने क्या किया ?
उ.- श्रीकृष्ण की मृत्यु का समाचार पाकर
पांडव बहुत दुखी हुए। उनके मन में संसार के प्रति वैराग्य उत्पन्न हो गया। वह अपने
पौत्र परीक्षित को राज्य सौंपकर द्रौपदी सहित तीर्थयात्रा को निकल गए और अंत में
हिमालय की ओर चले गए।