अमर शहीदों को प्रणाम
जिसने सींचा इस माटी को
चलो उन्हें प्रणाम करें
आज़ादी के अवसर पर
मिलकर उनको याद करें।
बलिदानों की वेदी पर
चढ़ने वाले ढेरों थे
फाँसी के फंदों पर वे
हँसते-हँसते झूले थे
आज़ाद भारत को सौंप दिया है
उन बलिदानी वीरों ने
इसकी रक्षा की ज़िम्मेदारी
अब हमारे हाथों में ।
शत्रु अब भी छुपा हुआ है,
कायरता के चोलों में,
जला दो उनको जिंदा ही,
अग्नि के प्रचंड शोलों में।
पुलवामा हमला कर तुमने
कायरता दिखलाई थी।
भारत की सेना ने तुमको
धूल वहीं चटाई थी।
पहले वाला भारत नहीं अब
तुम पर रहम दिखाएगा।
तुमने एक सर काटा तो,
सौ सर काट कर लाएगा।
पहलगाँव हमलाकर तुमने
अपनी माँ को लजवाया है।
कायरों की टोली ने फिर
निर्दोषों को मार गिराया है।
भारत की माँ–बहनों का,
सिंदूर मिटा न पाओगे,
फिर से कायरता की तो,
अपनी ही धरती में तुम जिन्दा गाड़े जाओगे।
कान खोल सुन लो गद्दारों
रोके से न रुकने वाला
विश्व गुरु भारत अब
अंतरिक्ष गुरु बनने वाला
सन् 2047 में भारत फिर,
स्वर्णिम परचम लहराएगा,
गद्दारों की औकात तो क्या,
विश्व शक्ति भी गुण गाएगा।
स्वरचित कविता
सुरेश कुमार पाटीदार
15 अगस्त 2025