प्रिय विद्यार्थियों अनुक्रमणिका देखकर निबंध का क्रम देखें।
अनुक्रमणिका
क्रमांक
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शीर्षक
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1
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समय का सदुपयोग
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2
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मित्रता
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3
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स्वतंत्रता दिवस
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4
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तिरंगा झंडा
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5
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रक्षाबंधन
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6
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प्रदूषण
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7
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मेरा घर
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8
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खेलों का महत्त्व
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9
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होली
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1 समय का सदुपयोग
जीवन में समय का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। बीता समय कभी लौट कर नहीं आता। अतः मनुष्य को चाहिए कि जो समय उसे मिलता है उसका सदुपयोग करें। समय ही सबसे बडा बलवान है।
’पुरुष बली नहि होत है, समय होत बलवान’
जो व्यक्ति समय का सदुपयोग नही करता उसका जीवन नष्ट हो जाता है। मानव की उन्नति में समय का सहयोग महत्त्वपूर्ण होता है। अपने लक्ष्य की प्राप्ती के लिए मनुष्य को समय के महत्त्व को जानकर उसका सदुपयोग करना चाहिए। समय अपनी गति से बड़ता जाता है। वह किसी के लिए रुकता नही। उसे रोकने की शक्ति भी किसी में नही है। वास्तव में समयानुसार आवश्यक तथा उचित कार्यों को संपन्न करना ही समय का सदुपयोग है।
विद्यार्थी जीवन में ही मनुष्य अपने भावी जीवन की तैयारी करता है। मानसिक तथा शारीरिक पुष्टता से अपने को सक्षम बनाता है। जो व्यक्ति इस काल का सदुपयोग न करके अन्य कार्यों में व्यस्त होता है वह अपने गृहस्थ जीवन में असफल हो जाता है। उसका भावी जीवन कठिनाइयों का शिकार हो जाता है। वह शारीरिक दृष्टी से कमजोर पड़ जाता है। जो व्यक्ति इस काल में समय का सदुपयोग करता है, उसका भावी जीवन संकट हीन बनाता है। वह उन्नति के मार्ग पर निरंतर बढ़ते जाता है। विजय उसके चरण चूमने लगती है।
समय के सदुपयोग से कई लाभ है। जीवन उन्नत मार्ग पर अग्रसर होता है। जीवन में उन्नति की कुंजी समय का सदुपयोग ही है। वे ही लोग जीवन में सफल बनते है जो समय का ठीक उपयोग करते है। इनके जीवन में समन्वय होता है।
उनका पारिवारिक जीवन सुख-शान्ति से विकसित होता है। उन्हें जीवन में शान्ति मिलती है।
समाज में उनका आदर होता है।
जो व्यक्ति विद्यार्थी जीवन में पढाई-लिखाई में मन नही लगाता, यौवन में धन न कमाता, वह बुढ़ापे में कर ही क्या सकता है?
समय के सदुपयोग न करने से मन चंचल हो जाता है। ऐसा व्यक्ति कोई भी काम ठीक प्रकार नही कर सकता। उससे सफलता दूर भागेगी।
ऐसा व्यक्ति बर्बर और उद्दंड होगा। उसमे उचित कार्य क्षमता की भावना का अभाव होता है। वह न ज्ञानार्जन कर सकेगा न धनार्जन।
वह केवल अशांति का शिकारी बनकर रह जाएगा। उसका जीवन अभावों से भरा रहता है। वह निंदा का पात्र बनेगा और जीवन के अंतिम क्षणों में उसे पछ्लता पडेगा, पछताने से भी उसके हाथ कुछ नही आयेगा। मनुष्य को चाहिए कि वह अपने समय का सदुपयोग करके जीवन को मार्ग पर ले चले। वह अपने भावी जीवन को भी सुखमय बनावे।
2 मित्रता
मित्रता का हमारे जीवन का महत्त्व्पूर्ण हिस्सा होती है। मित्र के बिना हर व्यक्ति अकेला है। सच्चे मित्र मुश्किल से मिलते हैं। सुदामा और कृष्ण की
मित्रता, सच्ची मित्रता का उदाहरण है।
मित्र की संगति का मनुष्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इस करण हमें सोच समझ कर, अच्छे संस्कार वाले व्यक्ति से ही
मित्रता करनी चाहिए। अच्छे मित्र के संगति में मनुष्य अच्छा बनता है और बुरे की
संगति में बुरा बनता है।
सच्चा मित्र दुख सुख का साथी होता है और सदैव हमें ग़लत काम करने से रोकता है।
सच्चा मित्र दुख सुख का साथी होता है और सदैव हमें ग़लत काम करने से रोकता है।
मित्रों में आपस में पारस्परीक सहयोग की भावना होनी चाहिए। मित्रता हमेशा बनी
रहे, इसके लिए हमेशा प्रयत्नशील रहना चाहिए। जिस प्रकार पौधे को जीवित रखने के लिए, खाद और पानी की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मित्रता को बरकरार रखने के लिए सहयोग और सहनशक्ति की आवश्यकता
होती है। मित्रता में संदेह का स्थान नहीं होता है।
सच्चे मित्र की पहचान मुसीबत में ही होती है। अतः मित्रता अनमोल होती है और हमारे सुचारू रूप से चलने में
सहायता करती है। इसीलिए हमारे ज़ीवन में सच्चे मित्र का
होना आवश्यक है।
3 स्वतंत्रता दिवस
भारत लंबे समय तक गुलाम रहा । हमारे महापुरुषों के बलिदानों और संघर्षो के बाद हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हुआ। आज़ादी की खुशी और अमर शहीदों की याद में प्रतिवर्ष 15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं।
भारत को यह आज़ादी अनेक लोगों के बलिदानों से मिली है। भारत को अंग्रेजों से आज़ाद करवाने के लिए कई लोगों ने हँसते-हँसते अपने प्राण त्याग दिए। देश की आज़ादी में कई लोगों का योगदान हैं जिनमें प्रमुख हैं- वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, महात्मा गाँधी, पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आज़ाद, सरदार भगतसिंह आदि।
स्वतंत्रता दिवस के दिन सभी संस्थाओं में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाता है। इस दिन दिल्ली में लाल किले पर प्रधानमंत्री द्वारा भी ध्वजारोहण किया जाता है। विद्यालयों में देशभक्ति के गीतों के साथ शहीदों को याद किया जाता है। कार्यक्रम की समाप्ति पर मिठाई वितरण होती है।
4 तिरंगा झंडा
भारत का राष्ट्रीय ध्वज ’तिरंगा’ है। ये तीन रंगों से बना हुआ है। इसमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफ़ेद व सबसे नीचे हरा रंग हैं। झंडे के मध्य में सफ़ेद रंग की पट्टी पर नीले रंग का एक चक्र बना होता है। जिसमें 24 छडि़याँ होती हैं। केसरिया रंग बलिदान एवं साहस का प्रतीक है, सफ़ेद रंग शांति का सूचक है और हरा रंग हरियाली, परिश्रम और विकास का सूचक है। नीले रंग का चक्र निरंतर विकास को बताता है। नीले चक्र का आकार सफ़ेद पट्टी के बराबर होता है।
तिरंगा ध्वज हमारे देश का गौरव है। सभी देशवासी इसका सम्मान करते हैं। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर इसे फहराया जाता है। इसका अपमान करने वाले को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाती है।
तिरंगे ध्वज की रक्षा करना सभी भारतीयों का परम कर्तव्य है। इसकी रक्षा के लिए सदैव हमें तैयार रहना चाहिए।
5 रक्षाबंधन
भाई.बहन के बीच प्यार
को दर्शाता पर्व है .रक्षाबंधन । राखी का त्योहार आज देश के कोने.कोने में प्रेम के प्रतीक के रूप में मशहूर है। भाई की कलाई पर बहन द्वारा रेशम धागों से बनी रंगबिरंगी राखी बाँधी जाती है। एक ही राखी में गूँथे अलग.अलग धागे मजबूती के प्रतीक हैं।
यही मजबूती भाई.बहन के रिश्तों में एकताए भाईचारा और प्रेम को प्रकट करती है।भाई की कलाई पर राखी बाँधकर बहन उससे जीवन भर अपनी रक्षा करने का वचन लेती है और बदले में भाई सदा मुश्किल और कठिनाई की घड़ी में उसका साथ देने की प्रतिज्ञा लेता है। राखी का त्योहार भाई.बहन के इसी प्रेम के मर्म को दर्शाता और समझाता है।
6 प्रदूषण
1 प्रस्तावना
2 प्रदूषण के प्रकार
3 प्रदूषण का मानव जीवन पर प्रभाव
4 प्रदूषण को रोकने के उपाय
5 उपसंहार
1 प्रस्तावनाः-
वर्तमान समय में बढ़ते हुए वैज्ञानिक साधनों के कारण प्रदूषण एक मुख्य समस्या बन गई है। प्रदूषण से आशय किसी वस्तु, वातावरण आदि की गुणवत्ता या शुद्धता में आई कमी से है।
2 प्रदूषण के प्रकार ः-
प्रदूषण कई प्रकार का होता हैं, जैसे - वायु प्रदूषण, मृदा या भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। कारखानों से निकलने वाला धुआँ हमारे वातावरण में विद्यमान शुद्ध हवा को प्रदूषित करता है। जिसे वायु प्रदूषण कहते हैं। इसी प्रकार कारखानों से निकलने वाला प्रदूषित जल नदियों आदि में मिलकर उसे जहरीला बना देता है। कारखानों में चलने वाली तेज़ ध्वनि युक्त मशीनों , लाऊड स्पीकर आदि के कारण ध्वनि प्रदूषण होता है। जिससे लोगों की श्रवण क्षमता कम हो रही हैं। किसानों के द्वारा किटनाशक, रासायनिक खाद आदि के उपयोग करने एवं कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों के कारण मृदा प्रदूषण होता है।
3 प्रदूषण का मानव जीवन पर प्रभाव ः-
सभी प्रकार के प्रदूषणों से मनुष्य बीमारियों का घर बन गया है। कई प्रकार के रोग होने लगे हैं, जैसे- रक्तचाप का बढ़ना, टी.बी., टाईफाइड, मलेरिया, चर्मरोग, कैंसर आदि।
4 प्रदूषण को रोकने के उपाय ः-
विज्ञान की बढ़ती हुई प्रगति के साथ हमें प्रदूषण को रोकने के भी समुचित उपाय करना चाहिए। कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित जल को नदी में न बहाकर अलग गड्ढ़े में छोडना चाहिए। ऊँची-ऊँची चिमनियों के माध्यम से विषैले धुएँ को बहुत ऊँचाई पर छोड़ना चाहिए। अपशिष्ट पदार्थों को अलग इकट्ठा करके नष्ट करना चाहिए। कृषि कार्यों में भी किटनाशक आदि का प्रयोग कम करना चाहिए। कारखानों में कम आवाज़ करने वाली मशीनों का उपयोग करना चाहिए।
5 उपसंहार ः-
मनुष्य को अपना भविष्य सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण को शुद्ध रखना चाहिए एवं उसे अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
7 मेरा घर
घर प्राणियों के रहने का स्थान होता हैं। सभी जीवों के अपने-अपने घर होते हैं। जिसमें वे रहते हैं। मेरा भी एक बहुत बड़ा घर है। जो बहुत सुंदर है। मेरे घर में 6 कमरे है। उसमें एक रसोइघर भी है। मेरे पढ़ने का कमरा भी है, जिसे मैंने अच्छे-से सजा रखा है। मेरे घर में एक मंदिर है, जहाँ हम लोग नियमित रूप से पूजा करते हैं। मेरे घर के सामने एक बगीचा है। जिसमें बहुत ही सुंदर फूल लगे हुए हैं। मेरे घर के पास में एक खेल का मैदान भी है, जहाँ हम रोज़ाना खेलते हैं। मेरे घर में 4 सदस्य है। मुझे मेरा घर बहुत अच्छा लगता है।
8 खेलों का महत्त्व
कहा जाता है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। शरीर को स्वस्थ रखने का सबसे अच्छा माध्यम खेलकूद हैं। इसलिए विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का विशेष महत्त्व हैं। नियमित रूप से खेलने पर हमारा शरीर और मस्तिष्क दोनों ही स्वस्थ रहते हैं।
खेल दो प्रकार के होते हैं। घर के अंदर खेले जाने वाले और घर के बाहर खेले जाने वाले। घर के अंदर खेले जाने वाले खेलों में कैरम, शतरंज, साँपसीढ़ी आदि आते हैं। इन खेलों से मनोरंजन होता हैं और मानसिक थकान दूर होती हैं। घर के बाहर खेले जाने वाले खेलों में क्रिकेट, खो-खो, फुटबाॅल, कबड्डी, बास्केट बाॅल आदि आते हैं। इन खेलों से मनोरंजन के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक व्यायाम भी होता हैं।
खेल, शरीर को स्वस्थ और निरोगी बनाए रखने के लिए अत्यन्त आवश्यक है। खेल से शरीर में स्फूर्ति आती हैं और आलस्य दूर भाग जाता हैं। चेहरे की निराशा समाप्त हो जाती हैं। पाचन शक्ति बढ़ जाती हैं और शरीर सुंदर, बलवान एवं फुर्तीला बनता हंै।
खेलों से कई प्रकार की शिक्षा मिलती हैं। जैसे-समूह में रहना, हारने पर हिम्मत न खोना, जीतने पर अभिमान न करना आदि। अतः जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने के लिए सभी लोगों को नियमित रूप से खेल खेलना चाहिए।
9 होली
होली रंगों का त्योहार है। शीतकाल की समाप्ति और ग्रीष्म के आरंभ की सूचना देने वाला यह त्योहार हमें सदा प्रसन्न रहने की प्रेरणा देता है। होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं। इस दिन होलिका दहन होता है। इसके दूसरे दिन धुलैंडी मनायी जाती है। सभी लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं। बच्चे भी पिचकारी भर-भर रंग उड़ाते हैं।
हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर का भक्त था। होलिका प्रह्लाद की बुआ थी। हिरण्यकश्यप भगवान को नहीं मानता था, अतः उसने प्रह्लाद को अनेक दण्ड दिए, किंतु उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। तब होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर चिता पर बैठ गई क्योंकि उसे अग्नि देव से आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, परंतु प्रभु भक्त प्रह्लाद का तो बाल भी बाँका नहीं हुआ लेकिन होलिका अवश्य जलकर खाक हो गई।
तब से बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी में होली का यह पावन पर्व मनाया जाता है। होली भाईचारे और सद्भावना का त्योहार है। हमें होली गुलाल से खेलनी चाहिए और पानी को बचाना चाहिए।