स्वरचित दोहे
1 कृषक
आज लाचार है , बेबस और निराश ।
बिना भाव के कर रहा , निज फसलों का नाश ॥ (05.06.17)
मेरी प्रथम दोहा रचना ।
2 उस
खेती पर कृषक को , होगा कैसे नाज़ ।
जिससे है दो जून की, रोटी मुश्किल आज॥ (05.06.17)
3 दया
करो हनुमान जी , विनती सुनलों नाथ ।
दर पर तेरे आ गए , धरो शीश पर हाथ ॥
मंदसौर में शहीद
किसानों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए।
4 रोई
धरती आज है , भर आँखों में नीर।
सूना आज संसार है , चला गया है वीर ॥ (07.06.17)
5 मात-पिता
गुरुदेव का , जो करता सम्मान ।
उसको मिलता मान है, मिट जाए अभिमान ॥ (25.06.17)
6 आज समय
तकनीक का, इसका करो प्रयोग।
जो इससे वंचित रहे, उसके हाथ वियोग ॥ (25.06.17)